उत्तर प्रदेश में योगी जी के कुशल नेतृत्व में सभी सरकारी कर्मचारी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं जिसका गुणगान स्वयं नेता और मंत्री मंच से किया करते हैं। यदि जमीनी हकीकत से हट कर बात की जाएं तो उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बन गया है पूरे देश में उत्तर प्रदेश एक रोल मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में प्रदेश सरकार द्वारा काम की सुचिता बनाएं रखने के लिए सरकारी कर्मचारियों की आनलाइन उपस्थिति योजना लागू की जा रही है लेकिन क्या कारण है कि सरकरी कर्मचारी इस आनलाइन उपस्थिति का विरोध कर रहे हैं।
सरकार द्वारा आनलाइन उपस्थिति के माध्यम से फ्रिंगर प्रिंट तथा फेसियल अटेंडेंस लागू करना कर्मचारियों को स्वीकार नहीं है। इस योजना में ऐसी क्या वजह है जिसका सरकारी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं? क्या सरकार इन सरकारी कर्मचारियों से अतिरिक्त काम लेना चाहती हैं? क्या सरकार काम के प्रति लापरवाह कर्मचारियों पर शिकंजा कसना चाहती है? ऐसे तमाम सवाल इस समय जन मानस के दिमाग में कौतूहल पैदा कर रहे हैं। आम जनमानस देखना चाहता है कि सरकार का अगला कदम क्या होगा? क्या सरकार अपनी सरकार बचाने की पालिसी के तहत जनता से वादाखिलाफी करते हुए अपने ही कर्मचारियों के सामने घुटने टेकते हुए अपना फरमान वापस लेती है? यदि सरकार ऐसा करती है तो कहीं न कहीं यह आम जनमानस को गुमराह करने का कुचक्र मात्र बनकर रह जाएगा।
एक बात जो हर जनमानस के जुबान पर है कि जब कर्मचारी पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे हैं तो आनलाइन उपस्थिति दर्ज करने में क्या समस्या हो रही है। सरकरी कर्मचारियों में शिक्षा विभाग से लेकर विकास विभाग तक के सभी कर्मचारी आनलाइन उपस्थिति का खुल कर विरोध कर रहे हैं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं इन सरकारी कर्मचारियों में अपने नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति उदासीनता रही है। आनलाइन उपस्थिति से उनको उन जिम्मेदारियों को पूरा करना पड़ेगा जिसका सरकार उन्हें पैसे देती है।

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