डॉ राम बहादुर मिश्र को समर्पित अवधी ग्रन्थ "अवध-अवधी: विविध सन्दर्भ" का हुआ विमोचन


रिपोर्ट - मिथिलेश जायसवाल 

बहराइच / लखनऊ। अवधी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति की परम्परा अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। यह एक मात्र बोली नहीं अपितु इसे भाषा का गरिमामई स्थान प्राप्त है। इसे तो भगवान राम भी बोलते थे। राम चरित मानस सहित अनेक पौराणिक ग्रन्थ अवधी में हैं। भगवान राम और भगवान बुद्ध अवध और अवधी की इसी पावन मिट्टी में पैदा हुए। अवधी भाषा के प्रेमी धरती के हर टुकड़े पर मिलते हैं।उक्त विचार मुख्य अतिथि विधान परिषद सदस्य पवन सिंह चौहान ने प्रकट किए। वह गुरुवार को मुख्य अतिथि के रुप में उ.प्र. साहित्य सभा के अवधी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित अवधी समारोह-2025 को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवधी भाषा सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ाने के लिए कृत संकल्प हैं। भारत में इकलौती यूपी विधानसभा ही है, जहां सदन में अवधी सहित पांच भाषाएं चलती हैं। इसके लिए सरकार ने दुभाषिया तैनात कर रखे हैं। अवधी-हिन्दी के प्रथम दुभाषिया डॉ रामबहादुर मिश्र एवं नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान तो यहीं बैठे हैं।समारोह की अध्यक्षता कर रही पद्‌मश्री विद्याविन्दु सिंह ने इस अवसर पर विमोचित अवधी शोध ग्रंथ "अवध अवधी: विविध संदर्भ" के संदर्भ में बोलते हुए कहा कि डा. राम बहादुर मिश्र नैसर्गिक प्रतिभा सम्पन्न अवधी साहित्य साधक हैं। इनकी समूची कर्मण्य तल्लीनता सिर्फ और सिर्फ अवधी को समर्पित है। रामबहादुर जी वस्तुतः अवधी के आंदोलन और अवधी ध्वज वाहक हैं।शोध ग्रन्थ के प्रबंध सम्पादक रमाकान्त तिवारी 'रामिल' ने कहा कि डॉ राम बहादुर मिश्र की अवधी साधना को समर्पित यह सारस्वत सृजन प्रकारांतर से अवधी का इंसाइक्लोपीडिया है। इसमें अवधी भाषा-साहित्य के विविध संदर्भ लिपिबद्ध है। वहीं, सम्पादक डॉ शिवप्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि अवधी पर केन्द्रित यह सारस्वत अनुष्णन अवधी भाषा-साहित्य और संस्कृति की समृद्ध परम्परा का आख्यान है। इसमें अवधी के वैश्विक परिदृश्य और उसका बौद्धिक विरासत का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है।समारोह के केंद्रबिंदु डॉ राम बहादुर मिश्र ने कहा कि समकालीन अवधी साहित्य सर्जना हिन्दी के समानांतर अबाध गति से विस्तार पा रही है। परिणामस्वरूप, अवधी में कहानी, उपन्यास, लघुकथा, यात्रा वृत्तांत, निबंध, एकांकी, नाटक, रेडियो रूपक, वार्ता, पत्र साहित्य, गीत, नवगीत, मुक्तक, गजल, हाइकु सहित पारम्परिक काव्य विधाओं से लैस है।

केएमसी भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के भाषा समन्वयक एवं अवधी शोध पीठ के नियंता डॉ. नीरज शुक्ला ने अवधी शोध पीठ की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भाषा विश्वविद्यालय में अवधी डिप्लोमा कराने पर विचार कर रहा है। जबकि नेपाल से आये हरि प्रसाद तिमिलसेना, कृष्णा देवी पांडेय सहित अन्य अवधी विद्वानों ने नेपाल में अवधी की दशा एवं दिशा की विस्तार पूर्वक चर्चा की।

अवधी ग्रंथ के समन्वयक डॉ संत लाल ने कहा कि यह शोध ग्रंथ शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है। अवधी समारोह में समागत साहित्यकारों का स्वागत करते हुए साहित्य सभा के संस्थापक सर्वेश अस्थाना ने बताया कि यह आयोजन साहित्य सभा के अवधी प्रकोष्ठ द्वारा किया गया है। इसमें अवध भारती संस्थान हैदरगढ़, अवधी विकास संस्थान लखनऊ, अवधी साहित्य संस्थान अमेठी सहित आठ संस्थाओं ने अहम भूमिका निभाई है। 

   उद्घाटन सत्र का संचालन वरिष्ठ अवधी साहित्यकार प्रदीप सारंग एवं प्रो. अर्जुन पाण्डेय ने किया। दूसरे सत्र विचार सभा का विषय प्रवर्तन समारोह के संयोजक नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान ने किया। वहीं, आभार प्रदर्शन बिरजू सेवा संस्थान के अध्यक्ष रत्नेश कुमार ने किया। स्वागत की कमान डॉ सत्या सिंह ने संभाला।

   तीसरे सत्र में अवधी कवि सम्मेलन की धूम रही। अंतिम चौथे सत्र में कल्चर दीदी कुसुम वर्मा के संचालन में सांस्कृतिक संध्या हुई। इसमें सोहर की प्रस्तुति के साथ अवधी कलाकार रमेश दुबे रमेशवा की हास्य प्रस्तुति जोरदार रही। डॉ अशोक अज्ञानी, अजय प्रधान, अनीश देहाती, डॉ सूर्य प्रसाद निशिहर, संदीप अनुरागी ने अवधी काव्यपाठ खूब सराहा गया।

Post a Comment

0 Comments